बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-IIसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- राजस्थानी शैली के प्रमुख बिंदु एवं केन्द्र कौन-से हैं ?
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. राजस्थानी शैली में प्राय: कैसे चित्र बने हैं?
2. राजस्थानी शैली में प्रकृति अंकन कैसा है?
उत्तर-
राजस्थानी शैली के प्रमुख बिन्दु
राजस्थानी शैली की खोज डॉ० आनन्द कुमार स्वामी ने की थी। उन्होंने इस शैली की उत्पत्ति सोलहवीं शताब्दी से मानी।
दूसरी आँख का अभाव और पार्श्वगत चेहरा इसकी प्रमुख विशेषतायें हैं।
प्रधानतः राजस्थान के हिन्दू राजाओं की छत्रछाया में प्राचीन शैलियों से प्रेरणा ग्रहण करके नवीन धार्मिक उत्साह से जो शैली पनपी, उसे राजस्थानी शैली कहते हैं।
राजस्थान में प्राचीनतम तिथियुक्त चित्रों की श्रृंखला इससे पूर्व ही अपभ्रंश कलारूपों में विकसित हो चुकी थी। राजस्थानी शैली का विकास अपभ्रंश शैली से माना जाता है।
इस काल में खतरगच्छ के मुनि जिनदत्त सूरि ने सचित्र ग्रन्थों के निर्माण को विशेष प्रोत्साहन दिया।
राजस्थान शैली में प्रायः स्फुट चित्र बने हैं जो एक के ऊपर एक जमाये गये कागजों की बसली पर बनाये गये हैं।
राजस्थानी चित्रकारों द्वारा किया गया रेखांकन सरल है व कुशलता पूर्वक किया गया है। रेखायें अभिव्यक्तिपूर्ण गतिशील सशक्त एवं किंचित अलंकारिक हैं।
इस शैली में चटकीले व आकर्षक रंग-विधान का प्रयोग है। टैम्परा शैली में अपारदर्शी रंगों का प्रयोग किया गया है।
राजस्थानी शैली के चित्रों में कला के साथ-साथ संगीत और साहित्य का भी अपूर्व समन्वय है।
रागमाला ग्रन्थों, भक्ति तथा श्रृंगार सम्बन्धी काव्य-रचनाओ और तद्नुकूल रूपं विधान का आश्रय लेने के कारण राजस्थानी चित्रकला में काव्यात्मक कल्पना भावुकता लयात्मकता एवं गति तत्व के दर्शन होते हैं।
इस शैली का प्रमुख विषय प्रेम है- नायिकाओं के शारीरिक सौन्दर्य का उद्घाटन करने हेतु प्रायः स्नान करती हुई नायिकाओं के चित्र प्रमुख रूप से अंकित किये गये हैं।
राजस्थानी शैली में प्रकृति का अंकन प्रायः अलंकारिक और प्रतीकात्मक है।
इस काल में चित्रकारों ने यद्यपि कृष्ण के समस्त जीवन का अंकन किया है तथापि उनके रसिक रूप पर ही उनकी दृष्टि अधिक रही है।
भक्ति के साथ-साथ इस युग में संगीत पर आधारित चित्रण भी अत्यधिक हुआ है। 1550 ई० की गुजराती कल्पसूत्र की एक प्रति में सर्वप्रथम रागमाला से सम्बन्धित चित्र मिलते हैं।
इस शैली के 1550 ई० के लगभग बने चित्र अनेक स्थानों पर उपलब्ध होते हैं। इस शैली का विकास मुख्यत: राजस्थान में हुआ इसीलिए इसे राजस्थानी शैली नाम दिया गया।
राजस्थान में इसके विकास को चार क्षेत्रों में मेवाड मारवाड, मारवाड़, दूँढार व हाड़ौती में विभाजित किया गया है।
मेवाड़ क्षेत्र के अन्तर्गत उदयपुर नाथद्वारा आदि स्थान आते हैं।
मारवाड़ क्षेत्र के मुख्य केन्द्र किशनगढ़, जोधपुर, बीकानेर, अजमेर आदि हैं।
ढूँढार के प्रमुख केन्द्र जयपुर अलवर आदि है।
हाड़ौती क्षेत्र के अन्तर्गत बूँदी व कोटा प्रमुख केन्द्र हैं।
राजस्थानी चित्र शैली के प्रमुख केंद्र
राजपूत शैली के विराट परिवेश का एक अनुपम इतिहास लघु चित्रों के माध्यम से मिलता है जिसके भीतर अनेक शाखाएँ समाविष्ट हैं। राजस्थान में प्रत्येक सांस्कृतिक धार्मिक तथा सामाजिक केन्द्र अथवा नगर का एक व्यक्तिगत इतिहास तथा निजी शैली है। राजपूत शैली की लगभग सभी शाखाएँ 18वीं शताब्दी तक अपनी परिपक्व शैली को प्रस्तुत करने में सक्षम बन गयी थी जिसमें प्रमुख मेवाड़ जोधपुर किशनगढ़ जयपुर कोटा बूँदी आदि हैं।
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- प्रश्न- पाल शैली पर एक निबन्धात्मक लेख लिखिए।
- प्रश्न- पाल शैली के मूर्तिकला, चित्रकला तथा स्थापत्य कला के बारे में आप क्या जानते है?
- प्रश्न- पाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पाल शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
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- प्रश्न- पाल चित्र-शैली को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- बीकानेर स्कूल के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बीकानेर चित्रकला शैली किससे संबंधित है?
- प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताओं की सचित्र व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूत चित्र - शैली पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- बूँदी कोटा स्कूल ऑफ मिनिएचर पेंटिंग क्या है?
- प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिये।
- प्रश्न- बूँदी कला पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बूँदी कला का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- राजस्थानी शैली के विकास क्रम की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- राजस्थानी शैली की विषयवस्तु क्या थी?
- प्रश्न- राजस्थानी शैली के चित्रों की विशेषताएँ क्या थीं?
- प्रश्न- राजस्थानी शैली के प्रमुख बिंदु एवं केन्द्र कौन-से हैं ?
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